आइसलैन्ड के राष्ट्रपति,डॉ.ओलफुर रेगनर ग्रिमसन ने,5 अप्रैल 2013 को राष्ट्रपति भवन में, भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की|
राष्ट्रपति ने डॉ.ग्रिमसन को भारत का मित्र बताते हुए कहा कि वर्ष 2000 की उनकी यात्रा ने द्विपक्षीय संबंधों को एक नई दिशा प्रदान की| उस यात्रा के दौरान भारत को,डॉ.ग्रिमसन को वर्ष 2007 के लिए जवाहरलाल नेहरू अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार प्रदान करने का सौभाग्य मिला था| इस पुरस्कार राशि का उपयोग भारतीय विद्यार्थियों को ग्लासियोलोजी के अध्ययन के लिए प्रायोजित करने के उनके निर्णय की बहुत प्रशंसा हुई|
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और आइसलैन्ड के बीच समुद्रों की दूरी होने के बावजूद उन्होंने साझा मूल्यों और आपसी हितों के आधार पर मित्रता कायम की है| दोनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर एक दूसरे को समर्थन दिया है|
भारत और आइसलैन्ड में बहुत सी समानताएँ हैं| आइसलैन्ड के,विश्व का सबसे पुराना कार्यरत लोकतंत्र होने के नाते तथा भारत के, सबसे बड़ा लोकतंत्रता होने के नाते, दोनों का लोकतंत्र,मानवाधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता में दृढ़ विश्वास है तथा बहुत से क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर उन दोनों की समान राय है| नियमित उच्च-स्तरीय दौरों ने द्विपक्षीय सहयोग को गतिशील बनाए रखा है| दोनों देशों की राजधानियों में आवासी मिशनों का खोला जाना एक अच्छा अग्रगामी कदम है|
राष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच संबंधों की गुणवत्ता और सार में बढ़ोतरी की दिशा में,आइसलैन्ड के राष्ट्रपति के योगदान की सराहना की|
उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की भारत की उम्मीदवारी के लिए आइसलैन्ड के सिद्धांतपूर्ण और निरंतर समर्थन के लिए भारत आभारी है| राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के पास ध्रुवीय वैज्ञानिक अनुसंधान पर केंद्रित महत्वपूर्ण वैज्ञानिक क्षमताएँ और कार्यक्रम मौजूद हैं| आर्कटिक क्षेत्र में जारी वैज्ञानिक अनुसंधान में उसकी स्थायी रुचि है तथा वह इसमें और अधिक योगदान करना चाहेगा|
यह विज्ञप्ति 1215 बजे जारी की गई