भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (10 दिसंबर, 2016) को राष्ट्रपति भवन में पहले ‘बाल शिखर सम्मेलन लॉरिएट्स एंड लीडर्स’ के आरंभिक सत्र को संबोधित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि स्कूलों में यौन उत्पीड़न के मामलों में दबंगई, बाल विवाह और तस्करी जैसे अनेक प्रकार से बच्चों को प्रताड़नाएं दी जाती है। विश्व के अनेक भागों में बच्चों को शिक्षा से भी वंचित रखा जाता है। वे अब भी अल्प पोषण के शिकार हैं और निवार्य रोगों से मर रहे हैं। यूनिसेफ के अनुसार दक्षिणी एशिया और उप सहारा अफ्रीका में 80 प्रतिशत बच्चे मृत्यु को प्राप्त होते हैं। सशस्त्र संघर्ष, हिंसा और विद्रोह वाले क्षेत्रों में बच्चों पर सबसे अधिक कुप्रभाव पड़ता है। शरणार्थियों में अनेक ऐसे बच्चे हैं जिनका भविष्य अनिश्चित होता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय नीति निर्धारण में बच्चों के लिए कार्यक्रम और कार्यवाही पर ध्यान केंद्रिंत किए जाने की आवश्यकता है। हमारे ऊपर उन असमानताओं को कम करने की एक साझी जिम्मेदारी है जो किसी भी अन्य आयु समूह की तुलना में वंचित बच्चों को नुकसान पहुंचाती हैं। एक समान भविष्य की ओर मार्ग प्राथमिकता के द्वारा ही प्रशस्त होगा। शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी संकेतक में असमानताओं का उन्मूलन करना होगा। वंचित बच्चों की प्रगति में बाधा डालने वाले कारकों को हटाना होगा। वास्तव में हमारे बच्चों के प्रति; उनके विकास और सुरक्षा के प्रति, और उन्हें समान अवसर देने का हमारा एक नीतिपरक दायित्व है।
राष्ट्रपति ने कहा हम सब सदैव बाल अधिकारों की पूर्ति और संरक्षा के नोबल कार्य के प्रति प्रतिबद्ध रहें। उन्होंने कहा कि हमारे बच्चों को विरासत में एक ऐसा विश्व मिलेगा जो हम उन्हें सौंपेंगे। हमारा दायित्व है कि हम सुनिचित करें कि वह विश्व उससे बेहतर हो जो हमें मिला है।
संसाधनों का दोहन और पर्यावरण में अवनयन सतत विकास में एक गंभीर चुनौति बनकर खड़े हैं। जलवायु परिवर्तन के कुप्रभाव से यह स्पष्ट है। विकासशील अर्थव्यवस्थाएं जो कृषि और वानिकी जैसे जलवायु संवेदनात्मक क्षेत्रों से निकटता से जुड़ी हुई हैं, जलवायु परिवर्तन के प्रति नम्य हैं।
एच.एच दलाईलामा, मोनैको की एच.एस.एच प्रिंसेस चार्लिन, जॉर्डन के एच.आर.एच प्रिंस अली बिन अल हुसैन, नीदरलैंड के एच.आर.एच प्रिंसेस लॉरेंटियन, यूनेस्को स्पेशल इन्वाय ऑन लिटरेसी फॉर डेवलेपमेंड और एच.इ जोश रैमोस-हॉर्टा, टिमोरलेस्थे के भूतपूर्व राष्ट्रपति और नोबल पुरस्कार विजेता ने भी इस अवसर पर सभा में भाग लिया।
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन द्वारा आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन बच्चों को हिंसा से बचाने के लिए एक सशक्त नीति मंच निर्मित करने को आगे बढ़ाने और एक ऐसा विश्व सुनिश्चित करने पर विचार-विमर्श करेगा जहां बच्चे मुक्त रूप से केवल बच्चे रह पाएंगे।
यह विज्ञप्ति 1315 बजे जारी की गई।