भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (22 मार्च, 2013) राष्ट्रपति भवन में, ‘प्रेरक अनुसंधान के लिए विज्ञान के प्रयासों में नवान्वेषण’ (इंस्पायर) पुरस्कार विजेताओं से भेंट की।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि यह निश्चित है कि भावी भारत का स्वरूप देश के युवाओं द्वारा निर्धारित होगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा नवान्वेषण विकास के नए व्याकरण की रचना करेंगे। उन्होंने कहा कि अपनी मजबूत वैज्ञानिक और तकनीकी मानवशक्ति के साथ भारत के समक्ष, आने वाले समय में एक बड़ी ज्ञान शक्ति बनने का अवसर है। उन्होंने आगे कहा कि इस स्वप्न को साकार करने के लिए हमें अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत एक विकासशील देश है और हमें समाज की कई चुनौतीपूर्ण समस्याओं का समाधान ढूंढ़ना है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी खाद्य, ऊर्जा, जल तथा स्वास्थ्य देखभाल संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए नई प्रौद्योगिकियों की तलाश करनी होगी।
पुरस्कार विजेताओं को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को समाधानों के डिजायनकर्ताओं की नई पीढ़ी की जरूरत है तथा यह ऐसा क्षेत्र है जहां सभी योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत करोड़ों मस्तिष्कों के, करोड़ों नवान्वेषी विचारों का देश है और यदि हम इन मस्तिष्कों को प्रेरित कर सकें और इनमें से कुछ को वास्तविकता में बदल सकें तो इससे न केवल व्यक्तियों का बल्कि पूरे देश का नाम ऊंचा होगा। उन्होंने कहा कि उन्हें भरोसा है कि यहां उपस्थित युवा वैज्ञानिक भारत को राष्ट्रों के उस समूह में परिवर्तित कर देंगे जिन्हें विभिन्न खोजों के पेटेंटों का स्वामी होने पर गर्व है तथा इस प्रक्रिया से भारत का, एक ऐसी ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में उदय होगा जिसमें उसके पास अपनी जरूरतों के खुद के समाधान मौजूद होंगे।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री, श्री एस. जयपाल रेड्डी तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, डॉ. टी. रामासामी शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1700 बजे जारी की गई