भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने भूटान नरेश को लोकतांत्रिक संवैधानिक राजतंत्र के पांच वर्ष पूर्ण होने पर बधाई देते हुए कहा कि भूटान की कुशलता, स्थिरता तथा प्रगति भविष्य के लिए हमारे दृष्टिकोण का आधार है। वे 25 जनवरी, 2013 को राष्ट्रपति भवन में भूटान नरेश, महामहिम जिग्मे खेसर नामग्येल वांग्चुक के सम्मान में आयोजित राज-भोज में बोल रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत, भूटान के साथ एक-दूसरे के लिए अति-महत्त्वपूर्ण हितों और सामरिक मुद्दों पर अत्यंत संवेदनशीलता और सम्मान पर आधारित, पारंपरिक घनिष्ठ मैत्रीपूर्ण संबंधों को बहुत मूल्यवान और महत्त्वपूर्ण मानता है। हमारी दोनों सरकारें इस बात पर सहमत हैं कि हमारी मैत्री इसलिए अनवरत है क्योंकि यह विश्वास और सद्भावना के स्तंभों पर स्थापित है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन स्तंभों की सुदृढ़ता और अविचलता बनी रहे। भारत की सरकार और जनता भूटान के सामाजिक-आर्थिक विकास के अपने तरीके को साकार करने में योगदान देना और अपने सीमित संसाधनों को उनके साथ बांटना, अपना सौभाग्य मानती है। हमें विशेषकर, साझा हित और समान चिंता के क्षेत्रों में आपसी विचार-विमर्श और सहयोग के तंत्रों को मजबूत बनाने का प्रयत्न करना चाहिए। भारत सरकार, हमारे दोनों देशों की जनता की आशाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप बहुआयामी, परस्पर लाभकारी साझीदारी को और बढ़ाने एवं मजबूत करने के लिए वचनबद्ध है। जैसा कि हमारे संबंधों की आधारशिला रखने वाले, हमारे प्रथम प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि भारत की यह अभिलाषा है कि भूटान जीने का अपना तरीका चुनते हुए, अपनी इच्छानुसार प्रगति की राह पर चलते हुए, एक स्वतंत्र देश बना रहना चाहिए।