भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (27 फरवरी, 2016) कोडूंगलूर, केरल में मुजिरिस धरोहर परियोजना का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि देश की विशालतम संरक्षण परियोजना तथा केरल सरकार की पहली हरित परियोजना होने के कारण,मुजिरिस धरोहर परियोजना,धरोहर संरक्षण अथवा पर्यटन के क्षेत्र में बहुत ही गर्व करने योग्य पहलू है। राज्य के मसालों के व्यापार और प्राचीन बंदरगाहों ने केरल में बहुत से विरासत द्वीप और इतिहास की रचना की परंतु पर्यटन अनुभव सदैव भिन्न रहा है। मुजिरिस धरोहर परियोजना वैश्विक यात्रियों को सर्वोत्तम विरासत पर्यटन प्रस्तुत करता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह परियोजना भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए नए गंतव्य खोलती है, क्षेत्र के लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाती है तथा आगंतुकों को ज्ञान और आनंद प्रदान करती है।
राष्ट्रपति ने ध्यान दिलाया कि दो सौ से अधिक वर्षों से विभिन्न पंथों के लोग इस क्षेत्र में शांति और सौहार्द से रहते हैं। केरल के हिन्दू राजाओं ने विदेशी तथा उनके पंथों पारसी,इस्लाम और ईसाइयत का स्वागत किया। राजाओं ने पूजा स्थल स्थापित करने के लिए भूमि उपहार में दी तथा विभिन्न धर्मावलंबियों को सुरक्षा और संरक्षण प्रदान किया। आज केरल ऐसा राज्य है जहां पंथों की साझी परंपराएं हैं। बहुत से गिरजाघर हिन्दू मंदिरों की भांति दीप जलाते हैं और ध्वज फहराते हैं। इसी प्रकार चेरामन मस्जिद में हमेशा अखंड दीप जलता रहता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि केरल ने युगों-युगों से मानव विचार और प्रयास के प्रत्येक क्षेत्र में नई परंपराएं और मूल्यों को अपनाने की उल्लेखनीय योग्यता दर्शाई है। केरल के लोगों की सहिष्णुता की भावना तथा उदार दृष्टिकोण देश के लिए एक आदर्श है। मुजिरिस धरोहर परियोजना हमारे देश की शानदार विरासत का गौरव है जहां विभिन्न, पंथों, जातियों और भाषाओं के लोग सौहार्द के साथ रहते हैं। यह परियोजना हमें ध्यान दिलाती है कि हमारा इतिहास समावेशन,परस्पर सम्मान और असहमति के गौरव से है इसमें एक दूसरे के विश्वास और मूल्यों का आदर किया जाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें ज्ञात है कि परियोजना का अगला चरण स्पाइस रूट इनीसियेटिव है जो उन अंतरराष्ट्रीय संपर्कों और संयोजनों की खोज करेगा जो मालाबार तट के विश्व के बहुत से हिस्सों के साथ थे। इस चरण को यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन की सहायता से कार्यान्वित किया जाना है। स्पाइस रूट इनीसियेटिव महत्वपूर्ण और भारत के लिए प्रासंगिक है, जो एक बार पुन: अंतरराष्ट्रीय व्यापार और परिवहन तथा समुद्र शक्ति के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरना चाहता है। स्पाइस रूट इनीसियेटिव एशिया और यूरोप के 41 देशों को भारत के साथ जोड़ेगा तथा इन राष्ट्रों के साथ हमारे सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान का पुन: नवीकरण करेगा। इसका लक्ष्य एक बहुराष्ट्रीय सांस्कृतिक गलियारे का विकास करना है जो न केवल भारत की गौरवशाली विरासत पर प्रकाश डालेगा बल्कि राष्ट्रों और लोगों को जोड़ने के लिए शांति मार्ग भी खोलेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि समुद्री और काफिला मार्ग मिलने के कारण भारत सदैव विश्व के उस सबसे सार्वभौमिक समाज में से है जो विविधता तथा नए विचारों और संस्कृतियों के स्वागत में सहज रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि मुजिरिस हेरिटेज परियोजना भारतीय सार्वभौमिकता को सदैव सुदूर तक फैलाएगा और उसके द्वारा विश्वभर में भारत की सौम्य शक्ति को बढ़ाएगा।
राष्ट्रपति ने परियोजना अधिकारियों और लोगों से उन चिरस्थायी सभ्यतागत संबंधों और सांस्कृतिक अपनत्व को उजागर और उल्लेख करने का आग्रह किया जिनका भारत शेष विश्व के साथ आदान-प्रदान करता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि मुजिरिस धरोहर परियोजना नूतन विश्व और उदीयमान भारत के बीच एक अमूल्य कड़ी के रूप में उभरेगी।
यह विज्ञप्ति 1200 बजे जारी की गई।